G20 क्या है?
G20 विश्व की 20 प्रमुख और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों का संघ है जो वाणिज्यिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक स्थान पर आते हैं। इसका उद्देश्य आर्थिक सहयोग और समग्र आर्थिक सुधार को प्रोत्साहित करना है ताकि विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके। G20 के सदस्य देश एक साथ आर्थिक नीतियों, व्यापार, वित्तीय सेवाओं, और अन्य आर्थिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं, ताकि वे आपसी सहमति और सामाजिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकें। यह गुप्त नहीं होता और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
क्या दुनिया पर फिर से मंडरा रहा है विश्व युद्ध का खतरा
हाल ही में भारत के नेतृत्व में G20 का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ है। G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत पर अत्यधिक दबाव होने के बावजूद भी भारत ने दोनों गुट को संतुलित रूप से साधा। भारत का यूक्रेन और रूस संघर्ष पर हर एक मंच पर एक ही रुख रहा है PDD(Peace Deplomacy and Dialouge) शांति,कूटनीति और वार्ता। G20 के मीटिंग में रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन एव चीन के राष्ट्रपति शि-जिनपिंग का शामिल न होना तथा रूस द्वारा भारत को दिल्ली घोषणा में बाधा डालने की धमकी देना भारत और रूस के गहरे सम्बन्धो को भी चुनौती देता है फिर भी भारत द्वारा दिल्ली घोषणा को सफलतापूर्वक जारी करना भारत के विदेशी कूटनीतिज्ञ विशेषज्ञता को साबित करता है।
विश्व युद्ध जैसी परिस्थितियों की चर्चा क्यों?
हाल ही में हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन तथा उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की मुलाकात इस चर्चा को आग जैसे फैला दी है। आपको बता दे की अमेरिका तथा उसके सहयोगी राष्ट्र उत्तर कोरिया के धुर विरोधी है तथा रूस द्वारा 2014 में यूक्रेन के क्रिमिआ वाले हिस्से पर जबरदस्ती कब्ज़ा कर लेने से रूस को अमेरिकी प्रतिबंधो का सामना करना पड़ा उसके बाद फरवरी,2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर मिलिट्री कार्यवाई के बाद से रूस को आर्थिक हानि पहुंचने के लिए अमेरिका तथा उनके सहयोगी राष्ट्रो ने पूरी कोशिश की लेकिन इस कार्यवाही में अमेरिका तथा यूरोपीय वर्ल्ड को मुँह की खानी पड़ी इसके पीछे का प्रमुख कारण रूस भारत की पुरानी दोस्ती तथा चीन और रूस के बनते नए सम्बन्ध तथा हाल ही में हुए तानाशाह किम जोंग उन की रूस यात्रा इस चर्चा को और अधिक गर्म कर दी है।
कयासों का बाजार गर्म है कुछ लोग इससे नाटो के विपरीत सैन्य गठबंधन की शुरुआत कह रहे तो कुछ लोगो का कहना है की मानवाधिकार, लोकतंत्र तथा तानाशाहीके खिलाफ युद्ध का आगाज़ होगा। आपको बता दे की चीन, उत्तर कोरिया में मानवाधिकार के उलंघन के सबसे अधिक मामले सामने आते है चाहे वो चीन में हो रहे उइगर मुस्लिम पर हो रहे अत्याचार हो तथा उत्तर कोरिया में लोगो के मानवाधिकार का उल्लंघन हो।
आपको बता दे सोवियत संघ के पतन के बाद जब से पुतिन ने रूस की राजनीति में कदम रखा तब से वो किसी न किसी तरह से रूस में अपना सत्ता काबिज किये हुए है यही वजह है की अमेरिका तथा उसके सहयोगी राष्ट्रो के नज़र में पुतिन एक तानाशाह के रूप में देखे जाते रहे है तथा रूस में भी लोकतंत्र का अब अंत माना जा रहा है।उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की इस यात्रा पर अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी चील जैसी नजरो से इस पुरे मामले पे नज़र बनाये हुए है।
युद्ध के प्रति भारत का दृष्टिकोण क्या है?
भारत के दृष्टि से देखे तो G20 का आयोजन उसके लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था। भारत विश्व पटल पे दोनों महाशक्तियो में संतुलन स्थापित करने में काफी हद तक सफल रहा है तथा भारत संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ हर एक वैश्विक पटल पर अपना रुख साफ़ रखा है “शांति कूटनीति एव वार्ता” तथा भारतीय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी द्वारा खुले मंच पर बोलना की ये वक़्त युद्ध का नहीं है। युद्ध के प्रति भारत यह सख्त रूख ही भारत को अन्य देशो से अलग बनता है| अब ये देखना होगा की भारत इस वैश्विक समुदाय को कैसा सन्देश देता है|
भारत की प्रमुख चिंता क्या है ?
भारत के सामने सबसे बड़ी चिंता चीन एव रूस की निकटता क्योकि चीन की विस्तारवादी नीति तथा चीन में लोकतंत्र का न होना एव रूस से उसकी बढ़ती निकटता भारत के लिए प्रमुख चिंता का विषय है।
G20 के आयोजन में भारत की भूमिका कैसी रही इस पर आपका क्या राय है हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।
1 thought on “क्या G20 में भारत की अध्यक्षता के कारण दुनिया पर फिर से मंडरा रहा है विश्व युद्ध का खतरा?”